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दशहरे वाले नवरात्र का क्या महत्व होता है ?

 

दशहरे वाले नवरात्रि का अर्थ यह है कि नवरात्र का पर्व विजयदशमी के दिन समाप्त होता है। दशहरे वाले नवरात्र का मतलब शारदीय नवरात्रि से है, जो सनातन (हिंदू) कैलेंडर के आश्विन माह (महीने) में आते हैं और जिसका दसवां दिन विजयदशमी (दशहरा) होता है, जो सदैव बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।


विजयदशमी (दशहरे) वाले नवरात्र का अर्थ व महत्व

बुराई पर अच्छाई की विजय: विजयदशमी (दशहरा) उस दिन का प्रतीक है जब भगवान श्री राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी, और माँ देवी दुर्गा ने महिषासुर असुर का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत प्राप्त की थी।   

माँ दुर्गा देवी की पूजा: नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद की मनोकामना रखते हैं। 

शक्ति का प्रतीक: नवरात्रि के नौ दिनों में माँ जगदम्बा की उपासना करके भक्त-जन शक्तिशाली बनने और विजय प्राप्त करने के लिए तत्पर रहते हैं। 

आंतरिक विजय (जीत): यह आंतरिक संघर्षों पर विजय और अपने दिव्य स्वभाव के प्रकटीकरण का प्रतीक है, जहाँ हम अपने भीतर के राग और द्वेष जैसी नकारात्मक उर्जाओ से पार पा पाते हैं, जैसा कि महाकाली द्वारा मधु और कैटभ नामक असुरो का  युद्ध में वध करने की कथा में दर्शाया गया है। 

दशहरे वाला नवरात्रो का महत्त्व बुराई पर अच्छाई की विजय (जीत) का जश्न है, जो माँ देवी दुर्गा और भगवान श्री राम की विजय से जुड़ा है। 

रामायण की मान्यता के अनुसार, जब प्रभु श्री राम और लंकापति रावण के बीच युद्ध प्रारम्भ हुआ, तब भगवान श्रीराम ने माँ देवी दुर्गा की आराधना की। विजय प्राप्ति हेतु उन्होंने अश्विन शुक्ल पक्ष की नवरात्रि में माँ देवी दुर्गा की उपासना की और माँ दुर्गा को  108 नील-कमल अर्पित किए।

कथा के अनुसार, जब एक नील कमल कम पड़ गया तो भगवान श्री राम ने अपने नेत्र (कौमुदिनी लोचन) को अर्पित करने का निश्चय लिया। इस भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर माँ देवी दुर्गा, श्री राम के सामने प्रकट हुईं और उन्होंने श्री राम को विजय का आशीर्वाद दिया।

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