नवरात्रि की शुरुआत कल (03 अक्टूबर 2024) को होने वाली है। ऐसे में जानते हैं कि सनातन धर्म में आखिर नवरात्रि क्यों मनाये जाते हैं। नवरात्रि को 09 दिन मनाने के पीछे की कहानी भी जानते है।
नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। शक्ति स्वरूपा माँ देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए प्रतिवर्ष 04 बार नवरात्रि पड़ती हैं जिनमें एक बार शारदीय नवरात्रि और एक बार चैत्र नवरात्रि पड़ती है, इसके अलावा साल में 2 बार गुप्त नवरात्रि, के दौरान श्रद्धालु माँ दुर्गा की आराधना करते हैं। नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना करने का विधान युगो से चला आ रहा है। परन्तु, क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि की शुरुआत कब हुई और कैसे हुई? आरम्भ में नवरात्रि में नौ दिनों का व्रत किसने रखा ? आज हम श्रद्धालुओं को बताएंगे कि नवरात्रि मनाने की शुरुआत कैसे हुई और सबसे पहले किस-ने नवरात्रि का व्रत रखा था।
नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई?
मां दुर्गा स्वयं शक्ति स्वरूपा हैं और नवरात्रि में सभी श्रद्धालु आध्यात्मिक शक्ति, सुख-समृद्धि व् यश की कामना करने के लिए माँ दुर्गा की उपासना करते हैं व् व्रत रखते हैं।
जिस राजा के द्वारा नवरात्रि व्रत का आरम्भ हुआ था उन्होंने भी माँ दुर्गा से आध्यात्मिक शक्ति और विजय की कामना की थी। रामायण में उल्लेख मिलता है कि, किष्किंधा के समीप ऋष्यमूक पर्वत पर लंका में युद्ध करने से पहले प्रभु श्रीराम ने माता दुर्गा की उपासना की थी। ब्रह्माजी ने भगवान श्रीराम को देवी दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा-अर्चना करने की सलाह दी थी और ब्रह्माजी की सलाह लेकर भगवान श्रीराम ने प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक देवी चंडी की उपासना और पाठ किया था।
किस राजा ने की थी नवरात्रि व्रत की शुरुआत?
भगवान बह्माजी ने देवी चंडी पूजा-पाठ के साथ ही भगवन श्रीराम जी को बताया कि, आपकी पूजा तभी कारगर होगी जब आप चंडी पूजा और हवन के बाद 108 नील कमल भी माँ को अर्पित करेंगे। ये नील कमल अत्यंत दुर्लभ माने गए हैं। श्रीराम जी ने अपनी वानर सेना की सहायता से ये 108 नील कमल प्राप्त कर लिए, लेकिन जब रावण को यह समाचार मिला कि भगवान् श्रीराम चंडी देवी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं और नील कमल भी ढूंढ रहे हैं, तो रावण ने अपनी मायावी शक्ति के बल से एक नील कमल गायब कर दिया। चंडी पूजा के अंत में जब भगवान श्रीराम ने वे नील कमल माँ को अर्पित करे तो उनमें से एक नील कमल कम निकला। यह देखकर वो अत्यंत चिंतित हुए और अंत में उन्होंने निर्णय लिया की वो अपनी एक आँख नील कमल की जगह माता चंडी पर अर्पित करेंगे। अपनी आंख माता चंडी को अर्पित करने के लिए जैसे ही भगवान् श्रीराम ने शस्त्र उठाया तभी माता चंडी उनके समक्ष प्रकट हुईं। माता चंडी भगवान् श्रीराम की भक्ति से अत्यंत प्रसन्न हुईं और उन्होंने भगवान् श्रीराम को विजई होने का आशीर्वाद दिया।
सबसे पहले किसने किया था नवरात्रि का व्रत?
फिर प्रतिपदा से लेकर नवमी तक पूरे नौ दिन माता चंडी को प्रसन्न करने के लिए प्रभु श्री राम ने अन्न-जल सब त्याग दिया कुछ भी ग्रहण नहीं किया। नौ दिनों तक माता दुर्गा के स्वरूप चंडी देवी की उपासना करने के बाद भगवान श्रीराम को रावण पर विजय प्राप्त हुई थी। ऐसा कहा गया है कि तभी से नवरात्रि मनाने और नौ दिनों तक माता का व्रत रखने की शुरुआत हुई थी। भगवान श्रीराम ही नवरात्रि के नौ दिनों तक व्रत रखने वाले पहले धरती के राजा और पहले मनुष्य थे।
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