'सूर्य नमस्कार' का अर्थ है सूर्य देव को नमन। 'सूर्य नमस्कार' सूर्य देव को सम्मान देने का सबसे प्राचीन योग आसन है। यदि आप योग का प्रारम्भ कर रहे हो, तो 'सूर्य नमस्कार' सबसे उपयोगी है। 'सूर्य नमस्कार' एक साथ बारह योगासनों का फल या कहे फायदा देता है और इसीलिए इसे सर्वश्रेष्ठ योगासन भी कहा गया है।
सूर्य नमस्कार में 7 विभिन्न प्रकार के आसन 12 चरणों में चक्र के रूप से किये जाने चाहिए। यह एक बहुत ही असरदार व्यायाम माना गया है, जो की शरीर और मस्तिष्क के लिए बहुत ही लाभदायक माना गया है। सूर्य नमस्कार भोर में किया जाता है। बारह आसनों का योग, सूर्य नमस्कार शरीर के सभी चक्रों को जीवंत कर देता है। इस आसन से अन्य स्वास्थ्य लाभों के अलावा, यह मन की शांति को बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसीलिए आज इस लेख में हम आपको सूर्य नमस्कार में कितने आसन होते हैं और इन्हें करने का सही तरीका और फायदे क्या-क्या हैं यह बताते है।
सूर्य नमस्कार बारह चक्रीय आसनो में किया जाने वाला आसन है जिसमें प्रणामासन, हस्त उत्तानासन, हस्तपादासन, अश्व संचलानासन, अधो मुख श्वानासन, पर्वतासन, अष्टांग नमस्कार , भुजंगासन, अधो मुख श्वानासन, पर्वतासन, अश्व संचलानासन और हस्तपादासन सम्मिलित है।
कौन से समय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ?
सूर्य नमस्कार करने का सबसे उत्तम समय सूर्योदय है। परन्तु इसके अलावा आप पूरे दिन में किसी भी समय सूर्य नमस्कार कर सकते हैं।
सूर्य नमस्कार करने के स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ
रीढ़ की हड्डी मजबूत और लचीली होती है।
रीढ़, गर्दन और भुजाओं को मजबूत करता है।
हृदय सम्बंधित रोग नहीं होते है।
पाचन क्रिया ठीक रहती है।
शरीर में रक्तसंचार बेहतर होता है।
नींद ठीक से आती है।
मधुमेह (Diabetes) में सूर्य नमस्कार बहुत उपयोगी है।
तनाव को कम करता है।
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