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अक्षय तृतीया


 


अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया का मतलब होता है ऐसी तिथि जिसका कभी भी क्षय नहीं होता या फिर जो कभी खत्म नहीं होती। अक्षय तृतीया के दिन नया कार्य करना बहुत ही शुभ होता है। इस पुण्यदायी तिथि पर ब्राह्मणों तथा दीन व् असहाय लोगों को दान देने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

इसके अलावा पवित्र नदियों में स्नान, दान, ब्राह्मण भोज, श्राद्ध कर्म, यज्ञ और ईश्वर की उपासना जैसे कार्य इस तिथि पर अक्षय फलदायी माने गए हैं। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन शुरू किया गया कोई भी कार्य आसानी से संपन्न हो जाता है। इस दिन आप कोई भी शुभ मुहूर्त देखे बिना कोई भी कार्य शुरू कर सकते हैं।

अक्षय तृतीया सनातन धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है जो हर कार्य की शुरुआत के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। इस दिन नई वस्तुओ को खरीदने का महत्व पुराणों में बताया गया है। अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर सोना या चाँदी  खरीदना बेहद शुभ माना गया है। इस दिन लक्ष्मी माँ का पूजन करने से विशेष पुण्य मिलता है।


अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया का महत्व कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस दिन को युगादि तिथि भी माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु ने परशुराम जी के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया था। महाभारत के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था। जिसमें भोजन कभी भी समाप्त नहीं होता था। उस पात्र में बने भोजन से एक बार में ही वहां उपस्थित सभी लोग भोजन कर सकते थे। इसलिए द्रौपदी ने उस पात्र की सहायता से पांच पांडवों के अतिरिक्त असहाय लोगों को भोजन कराती थीं। अक्षय तृतीया के दिन ही माँ गंगा का अवतरण  इस धरती पर हुआ था और त्रेतायुग की शुभारम्भ हुआ था। इसलिए इस दिन को बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। 


अक्षय तृतीया के दिन दान क्यों महत्वपूर्ण है 

सनातन धर्म के वेदों और उपनिषदों में अक्षय तृतीया पर दान के महत्व का सम्पूर्ण उल्लेख किया गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कुछ दान का फल इसी जन्म में मिल जाता है तो कुछ दान का फल अगले जन्म में मिलता है। गरुड़ पुराण में दान का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि दान करने से दीघायु मिलती है।

 दान के महत्व को बताते हुए मनुस्मृति में कहा गया है की :

 तपः परं कृतयुगे त्रेतायां ज्ञानमुच्यते । द्वापरे यज्ञमेवाहुर्दानमेकं कलौ युगे ॥

 अर्थात् सतयुग में तप, त्रेता में ज्ञान, द्वापर में यज्ञ और कलियुग में दान मनुष्य के कल्याण का साधन है।


अक्षय तृतीया के दिन इन चीजों का दान करना चाहिए

अक्षय तृतीया के दिन गरीब और असहाय बच्चों को भोजन कराना और उन्हें शिक्षित करने के लिए किसी भी तरह का दान करना बेहद पुण्य का काम है। अक्षय तृतीया के अवसर पर नारायण सेवा संस्थान में भोजन, वस्त्र और शिक्षा दान के प्रकल्प में सहयोग करके पुण्य के भागी बनें। कहा जाता है कि इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन अर्जित किए गए पुण्य का कभी क्षय नहीं होता है।


अक्षय तृतीया पूजन विधि :

अक्षय तृतीया के दिन सुबह उठकर स्नानादि करके साफ़ कपडे पहने। हो सके तो लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करे।

एक चौकी में लाल कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु जी की फोटो स्थापित करें।

कुमकुम या गोपी चंदन का तिलक लगाएं।

माँ लक्ष्मी जी को कमल का फूल और विष्णु जी को पीले फूलों की माला चढ़ाये।

विधि के साथ पूजा करें।

मखाने की खीर और पंच-अमृत का भोग लगाएं।

मन लगाकर आरती करें।

शुभ मुहूर्त को देखते हुए सोना-चांदी या फिर अपने क्षमता अनुसार कुछ नै वस्तुएं खरीदें।


ऐसा करने से जीवन में धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

  

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